सूरत : कपड़ा उद्योग में GST के स्लैब में फेरबदल की अटकलें, जानें क्या कह रहे संगठन

सूरत : कपड़ा उद्योग में GST के स्लैब में फेरबदल की अटकलें, जानें क्या कह रहे संगठन आगामी दिनों में जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में कपड़ा उद्योग में यार्न से लेकर कपड़ा बिक्री तक अलग-अलग चरण में वर्तमान टैक्स स्लैब में परिवर्तन की बात चल रही है। जिसके चलते कपड़ा उद्यमी चिंतित है। फेडरेशन ऑफ गुजरात विवर्स वेल्फेयर एसोसिएशन,फेडरेशन ऑफ इंडियन आर्ट सिल्क वीविंग एसोसिएशन तथा चेंबर ऑफ कॉमर्स ने इस बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन से कपड़ा उद्योग में टैक्स स्लैब नहीं परिवर्तन करने की मांग की है। <br> <br> पॉलिस्टर कपड़ों में 5%,12% और 18% टैक्स लगता है। फैब्रिक पर हाल में 5% जीएसटी है। जिसे सरकार 8% या 12% करने के लिए विचार कर रही है। बीते दिनों 39वीं जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में इस बारे में चर्चा भी हुई थी लेकिन,कई उद्यमियों ने इसका विरोध किया। जिसके चलते यह फैसला स्थगित कर दिया गया था। आगामी जीएसटी काउन्सिल की मीटिंग में फिर से इस विषय पर चर्चा होगी।<br> कपड़ा संगठनो ने चैम्बर के माध्यम से वित्त मंत्री निर्मला सीताराम को ज्ञापन भेजकर परिवर्तन नहीं करने की मांग की है। उन्होंने बताया है कि परिवर्तन किया गया तो कपड़ों की कीमत बढ़ सकती है। इसके अलावा यह भी बताया कि कपड़ों की कीमत बढ़ने से सीधा असर उसकी डिमांड पड़ेगा। यार्न पर टैक्स 12 प्रतिशत से यदि 5या 8% जीएसटी किया जाएगा तो सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ आ सकता है। इसके अलावा यदि टैक्स रेट समान कर दिया जाएगा तो एडवांस ऑथराइजेशन अथवा इपीसीजी स्कीम का आकर्षण घट जाएगा। जिसके चलते कपडों का निर्यात घट सकता है।<br> <br> यार्न से फैब्रिक का कन्वर्जेशन का रेशिया 110% है। इसलिए यदि टेक्सटाइल क्षेत्र में यार्न पीओवाय और एफडीवाय पर यदि जीएसटी के दर घटा दिया जाए तो कच्चे माल की कीमत बढ़ने की संभावना है। जिसके चलते विवर्स को नुकसान होगा। भारत सरकार की आवक भी घट सकती है। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की ओर से कपड़ा उद्यमियों को क्रेडिट नहीं देना पड़े इसलिए जीएसटी के दर में परिवर्तन किया जा रहा है। अभी तक विवर्स को 600 करोड कैरी फॉरवर्ड नहीं किया गया है। यह मामला अभी तक सुप्रीम कोर्ट में होने के कारण विवर्स को पहले का क्रेडिट रिटर्न करने के साथ ही ब्याज चुकाने के बाद ही क्रेडिट दी जा रही है।<br>

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